Padmini Ekadashi Vrat is observed during the Ekadashi of Shukla Paksha (bright half of lunar month) in the month of Adhika. Dedicated to Lord Vishnu, this Vrat is one of the most potential of the observances to get one’s genuine desires fulfilled.
बहुत समय पहले त्रेतायुग में कीर्तिवीर्य नामक राजा, जो कि हैहय वंश का था, महिस्मतीपूरी में राज्य किया करता था। उसकी 1000 पत्नियां थीं लेकिन किसी भी स्त्री से उसे पुत्र नहीं था जो कि उसके राज्य को संभाल सके। उसने देवताओं से प्रार्थना की, पितरों से आशीर्वाद मांगा और अनेक वैद्यों को दिखाया लेकिन कुछ भी न हो सका।
जब राजा को 10 हजार वर्षों तक तपस्या करने के बाद भी पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई, तब रानी पद्मिनी से अनुसूया जी ने कहा कि सभी महीनों में श्रेष्ठ अधिमास यानी कि मलमास होता है जो 32 मास के बाद आता है। अगर आप इस दिन व्रत करेंगी तो आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी और भगवान आपसे प्रसन्न होंगे।
रानी ने बिल्कुल वैसा ही किया। वे निराहार रहकर व्रत करने लगीं और रात्रि जागरण किया। भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति का आशीर्वाद दिया। फलस्वरूप कार्तवीर्य नामक पुत्र की प्राप्ति रानी पद्मिनी को हुई जो कि तीनों लोकों में सबसे बलवान था और जिसका कोई भी सानी न था।
जो भी रानी पद्मिनी की इस कथा का पाठ करता है और पद्मिनी एकादशी का व्रत करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और वह यश और कीर्ति को प्राप्त करता है।
~~~ॐ नमो भगवते वासुदेवाय~~~
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